Kavita Jha

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पत्र राखी का बंधन #लेखनी दैनिक प्रतियोगिता -11-Aug-2022

राँची, झारखंड
11.08.2022
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मेरे प्यारे भईया,
                 सादर प्रणाम,
                          आज रक्षाबंधन है भाई, क्या आपको याद है? 
क्या आपको अपनी सूनी कलाई देखकर भी क्या आपको अपनी बहनें याद नहीं आती?
मैं भले आप सब से दूर रहती हूँ ,पर दीदी तो आपके घर के पास ही रहती है फिर क्या आज राखी बँधवाने उसके पास भी नहीं जाएंगे।

हर साल आपके आने का इंतजार करती थी और आप अपना दिया वादा हर बार तोड़ देते थे अपनी मजबूरी बता कर। पर जानती हूँ आप मेरे पास मेरे ससुराल क्यों नहीं आते। आपको लगा शादी के बाद मेरी पहली राखी पर जब आए तो यहाँ आपका अपमान हुआ और आप मन में कड़वाहट लिए बैठे हैं इतने सालों से और इस साल तो जो थोड़ी सी उम्मीद थी कि आप आएंगे रक्षाबंधन पर मुझसे राखी बंधवाने वो भी टूट गई।

पता नहीं आपके मन में यह कैसे आया कि आपकी दोनों बहनें पापा के घर पर अपना हक जताएंगी और अपना हिस्सा मांँगेंगी।भाई मैंने और दीदी ने कभी यह सपने में भी सोचा नहीं था कि आपके मन में यह बात आई है और आपने मम्मी के रहते ही उस घर को बेच दिया। 
हमें कुछ नहीं चाहिए था भाई,बस हमारा मायका बना रहे। बहुत बुरा लगा था जब दूसरों ने बताया उस घर के बिकने की बात जो आपने हमसे छुपाई थी। 

आप मुझसे उम्र में बहुत बड़े हैं भाई,पिता तुल्य हैं।पापा के जाने के बाद घर की बागडोर आपके हाथों में ही थी जो आप नहीं संभाल पाए। आप पर हमेशा गुस्सा आता है पर छोटी हूँ ना मैं आपको डाँट भी तो नहीं सकती आपकी गलती पर । मैंने कोई गलती नहीं की तब भी कान पकड़ के चार चांँटे मार देते पर इस तरह बात करने का संपर्क ही क्यों छोड़ दिया।जानती हूँ आपने मेरा नम्बर भी ब्लॉक कर दिया है और माँ को भी हम दोनों बहनों से बात नहीं करने देते हो।

आपके नए घर का पता भी नहीं था मेरे पास और अपने उस घर का पता जहांँ जन्म हुआ और जीवन के 21 साल बीते उस पते को तो कभी नहीं भूल सकती पर अब उस पते पर राखी भी तो नहीं भेज सकती क्योंकि वो तो अब आपका भी नहीं रहा। 

भाई आप जीवन में बहुत तरक्की करें और खूब कमाएं।पर क्या वो घर हमारी बचपन की यादों को भूल पाएंगे।
मुझे पता है कि यह पत्र भी आप तक नहीं पहुंँच पाएगा पर इसे लिखते वक्त भी जो आँसु टपक रहें हैं ना  भईया उसमें भी आपकी सलामती की ही दुआ करती हूँ। 

अब पैसों की कमी नहीं है आपके पास ,आप चाहें तो आज भी राखी बंधवाने आ सकते हैं । दिल्ली से राँची इतना दूर भी नहीं है भाई जितना हमारे बीच दूरी हो गई है।

काश! आप इसे पढ़ पाते मुझसे ना सही दीदी से ही राखी बंधवा लेते।आपके मन की करेले जैसी कड़वाहट को हम आपको मिठाई खिलाकर दूर कर पाते।
आपके साथ बिताई राखी का हर दिन याद आ रहा है, भाई आप कैसे भूल गए।

बस इस रक्षाबंधन भी पिछले बाइस सालों की तरह हनुमान जी को राखी बांधते वक्त प्रार्थना करूंगी हमारे बीच की गलतफहमियां दूर हो जाएं और आपकी लंबी उम्र की कामना करती हूँ।
राखी का यह बंधन जन्मों का होता है जो किसी गलतफहमी के कारण तोड़ना सही नहीं है भाई आप आओगे या कम से कम फोन तो जरूर करोगे।


        मेरे प्यारे भतीजे भतीजी को मेरा ढेर सारा प्यार और माँ को मेरा प्रणाम।
                                                                                           आपकी छोटी बहन
                                                                                               कविता

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कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी
##लेखनी दैनिक कहानी प्रतियोगिता
11.08.2022

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9 Comments

Swati chourasia

15-Sep-2022 04:28 PM

Very nice 👌

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shweta soni

12-Aug-2022 02:36 PM

Behtarin rachana 👌

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Madhumita

11-Aug-2022 06:21 PM

बहुत खूब

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